Durga Mantra (दुर्गा मंत्र)
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हृदि संस्थिते । स्वर्गापवर्गदे देवी नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
भावार्थ :
बुद्धि रूप से सब लोगों में विराजमान रहनेवाली तथा स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करने वाली नारायणी देवी ! आपको नमस्कार है ।
कलाकाष्ठादिरूपेण परिणामप्रदायिनि । विश्वस्योपरतौ शक्ते नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
भावार्थ :
कला, काष्ठ आदि के रूप से क्रमशः परिणाम की ओर ले जाने वाली तथा विश्व का उपसंहार करने में समर्थ नारायणि ! आपको नमस्कार है ।
शङ्खचक्रगदाशार्ङ्गगृहीतपरमायुधे । प्रसीद वैष्णवीरुपे नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
भावार्थ :
शंख, चक्र गदा और शार्ङ्गधनुषरूप उत्तम आयुधों को धारण करने वाली वैष्णवी शक्तिरूपा नारायणि ! आप प्रसन्न होओ । आपको नमस्कार है ।
लक्ष्मि लज्जे महाविद्ये श्रद्धे पुष्टीस्वधे ध्रुवे । महारात्रि महाऽविद्ये नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
भावार्थ :
लक्ष्मी, लज्जा, महाविद्या, श्रद्धा, पुष्टि, स्वधा, ध्रुवा, महारात्रि तथा महा अविद्यारूपा नारायणि ! आपको नमस्कार है ।
नमस्ते परमेशानि ब्रह्यरूपे सनातनी । सुरासुरजगद्वन्द्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥
भावार्थ :
ब्रह्यरूपा सनातनी परमेश्वरी ! आपको नमस्कार है । देवताओं, असुरों और सम्पूर्ण विश्व द्धारा वन्दित कामेश्वरी ! आपको नमस्कार है ।
रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः । ज्योत्स्नायै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥
भावार्थ :
रौद्रा को नमस्कार है । नित्या, गौरी एवं धात्री को बारंबार नमस्कार है । ज्योत्स्नामयी, चन्द्ररूपिणी एवं सुखस्वरूपा देवी को सतत प्रणाम है ।