Durga Mantra (दुर्गा मंत्र)
कल्याण्यै प्रणतां वृद्धयै सिद्धयै कुर्मो नमो नमः । नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥
भावार्थ :
शरणागतों का कल्याण करनेवाली वृद्धि एवं सिद्धि रूपा देवी को हम बारंबार नमस्कार करते हैं । नैर्ऋती राजाओं की लक्ष्मी तथा शर्वाणि-स्वरूपा आप जगदम्बा को बार-बार नमस्कार है ।
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥
भावार्थ :
दुर्गा, दुर्गपारा, सारा, सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रा देवी को सर्वदा नमस्कार है ।
सर्वाधिष्ठानरूपायै कूटस्थायै नमो नमः । अर्धमात्रार्थभूतायै हृल्लेखायै नमो नमः ॥
भावार्थ :
समस्त संसार की एकमात्र अधिष्ठात्री तथा कूटस्थरूपा देवी को बार-बार नमस्कार है । ब्रह्मानन्दमयी अर्धमात्रात्मिका एवं हृल्लेखारूपिणी देवी को बार-बार नमस्कार है ।
नमो देव्यै प्रकृत्यै च विधात्र्यै सततं नमः । कल्याण्यै कामदायै च वृद्धयै सिद्धयै नमो नमः ॥
भावार्थ :
प्रकृति एवं विधात्री देवी को मेरा निरन्तर नमस्कार है । कल्याणी, कामदा, वृद्धि तथा सिद्धि देवी को बार-बार नमस्कार है ।
सच्चिदानन्दरूपिण्यै संसारारणये नमः । पञ्चकृत्यविधात्र्यै ते भुवनेश्यै नमो नमः ॥
भावार्थ :
सच्चिदानन्दरूपिणी तथा संसार की योनिस्वरूपा देवी को नमस्कार है । आप पंचकृत्यविधात्री तथा श्रीभुवनेश्वरी को बार-बार नमस्कार है ।
नमो देवी महाविद्ये नमामि चरणौ तव । सदा ज्ञानप्रकाशं में देहि सर्वार्थदे शिवे ॥
भावार्थ :
हे देवी ! आपको नमस्कार है । हे महाविद्ये ! मैं आपके चरणों में बार-बार नमन करता हूँ । हे सर्वार्थदायिनी शिवे ! आप मुझे सदा ज्ञान रूपी प्रकाश प्रदान कीजिये ।