Ganesh Mantra (गणेश मंत्र)
सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया । सर्वविध्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥
भावार्थ :
जो स्वेच्छा से संसार की सृष्टि, पालन और संहार करते हैं, उन सर्वविघ्नहारी देवता मयूरेश गणेश को मैं प्रणाम करता हूँ ।
सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरं विभुम् । सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥
भावार्थ :
जो सर्वशक्तिमय, सर्वरूपधारी, सर्वव्यापक और सम्पूर्ण विद्याओं के प्रवक्ता हैं, उन भगवान् मयूरेश गणेश को मैं प्रणाम करता हूँ ।
पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम् । भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥
भावार्थ :
जो पार्वती जी को पुत्र रूप से आनन्द प्रदान करते और भगवान् शंकर का भी आनन्द बढ़ाते हैं, उन भक्तानन्दवर्धन मयूरेश गणेश को मैं नित्य नमस्कार करता हूँ ।
तमः स्तोमहारनं जनाज्ञानहारं त्रयीवेदसारं परब्रह्मसारम् । मुनिज्ञानकारं विदूरेविकारं सदा ब्रह्मरुपं गणेशं नमामः ॥
भावार्थ :
जो अज्ञानान्धकार राशि के नाशक, भक्तजनों के अज्ञान के निवारक, तीनों वेदों के सारस्वरूप, परब्रह्मसार, मुनियों को ज्ञान देनेवाले तथा मनोविकारों से सदा दूर रहनेवाले हैं । उन ब्रह्मरूप गणेश को हम नमस्कार करते हैं ।
सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम् । सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥
भावार्थ :
जो समस्त वस्तुविषयक अज्ञान के निवारक, सम्पूर्ण ज्ञान के उद्घावक, पवित्र, सत्य-ज्ञानस्वरूप तथा सत्यनामधारी हैं, उन मयूरेश गणेश को मैं प्रणाम करता हूँ ।
अनेककोटिब्रह्याण्डनायकं जगदीश्वरम् । अनन्तविभवं विष्णु मयूरेशं नमाम्यहम् ॥
भावार्थ :
जो अनेक कोटि ब्रह्माण्ड के नायक, जगदीश्वर, अनन्त वैभवसम्पन्न तथा सर्वव्यापी विष्णुरूप हैं, उन मयूरेश गणेश को मैं प्रणाम करता हूँ ।