Astitwam

20230818 224334

Shiva Mantra

Spread the knowledge

पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय । भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय ॥

भावार्थ :

जो स्वच्छ पद्मरागमणि के कुण्डलों से किरणों की वर्षा करनेवाले हैं, अगरू तथा चन्दन से चर्चित तथा भस्म, प्रफुल्लित कमल और जूही से सुशोभित हैं, ऐसे नीलकमलसदृश कण्ठवाले शिव को नमस्कार है ।

लम्बत्स पिङ्गल जटा मुकुटोत्कटाय दंष्ट्राकरालविकटोत्कटभैरवाय । व्याघ्राजिनाम्बरधराय मनोहराय त्रिलोकनाथनमिताय नम: शिवाय ॥

भावार्थ :

जो लटकती हुई पिङ्गवर्ण जटाओं के सहित मुकुट धारण करने से जो उत्कट जान पडते हैं तीक्ष्ण दाढोंके कारण जो अति विकट और भयानक प्रतीत होते हैं, साथ ही व्याघ्रचर्म धारण किए हुए हैं तथा अति मनोहर हैं तथा तीनों लोकों के अधीश्वर भी जिनके चरणों में झुकते हैं, उन शिवजी को नमस्कार करता हूँ ।

दक्षप्रजापतिमहाखनाशनाय क्षिप्रं महात्रिपुरदानवघातनाय । ब्रह्मोर्जितोर्ध्वगक्रोटिनिकृंतनाय योगाय योगनमिताय नम: शिवाय ॥

भावार्थ :

जो दक्षप्रजापति के महायज्ञ को ध्वंस करनेवाले हैं, जिन्होने परंविकट त्रिपुरासुर का तत्काल अन्त कर दिया था तथा जिन्होंने दर्पयुक्त ब्रह्मा के ऊर्ध्वमुख को काट दिया था, उन शिवजी को नमस्कार करता हूँ ।

संसारसृष्टिघटनापरिवर्तनाय रक्ष: पिशाचगणसिद्धसमाकुलाय । सिद्धोरगग्रहगणेन्द्रनिषेविताय शार्दूलचर्मवसनाय नम: शिवाय ॥

भावार्थ :

जो संसार में घटित होनेवाले समस्त घटनाओं में परिवर्तन करने में सक्षम हैं, जो राक्षस, पिशाच से लेकर सिद्धगणों द्वारा घिरे रहते हैं | सिद्ध, सर्प, ग्रह-गण एवं इन्द्रादि से सेवित हैं तथा जो बाघाम्बर धारण किए हुए हैं, उन शिवजी को नमस्कार करता हूँ ।

भस्माङ्गरागकृतरूपमनोहराय सौम्यावदातवनमाश्रितमाश्रिताय । गौरीकटाक्षनयनार्धनिरीक्षणाय गोक्षीरधारधवलाय नम: शिवाय ॥

भावार्थ :

जिन्होंने भस्म लेपद्वारा शृंगार किया हुआ है, जो अति शांत एवं सुन्दर वनका आश्रय करनेवालों के वश में हैं, जिनका श्री पार्वतीजी कटाक्ष नेत्रोंद्वारा निरिक्षण करती हैं तथा जिनका गोदुग्ध की धाराके समान श्वेत वर्ण है, उन शिवजी को नमस्कार करता हूँ ।

आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय । ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय ॥

भावार्थ :

जो सूर्य, चन्द्र, वरूण और पवनद्वारा सेवित हैं, यज्ञ एवं अग्निहोत्र धूममें जिनका निवास है, ऋक-सामादि, वेद तथा मुनिजन जिनकी स्तुति करते हैं, उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करनेवाले शिवजी को नमस्कार करता हूँ ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *